बंगाल डेस्क: गुरुदेव रवींद्रनाथ नाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नहीं पहुंचने को भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष ने गुरुदेव का अपमाम बताया. उन्होंने ट्वीट करके कहा, ‘ममता बनर्जी का आसमान छूता अहंकार बंगाल के गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के प्रति उनके सम्मान से बड़ा है. विश्वभारती के कार्यक्रम का बहिष्कार करके उन्होंने साबित कर दिया कि उनके लिए उनका अंह ही सबसे बड़ी सम्पत्ति है.’
@JPNadda @MamataOfficial @BJP4Bengal @BJP4India 'aham' theke 'opoman', Mamta's sky high ego bigger than her respect for Bengal's Gurudev Rabindranath Tagore, by skipping the centenary event of Vishva Bharati, she proved her ahamika ( worthless ego) is her only asset.
— Chowkidarni Bharati Ghosh (@BharatiGhosh1) December 24, 2020
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी पर अपने अहम के लिए संघीय ढ़ांचे के अपमान का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि विश्व भारती विश्वविद्यालय दुनिया भर में बंगाल की पहचान है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व भारती के शताब्दी समारोह से जुड़े लेकिन सिर्फ़ राजनीतिक विद्वेष के कारण ममता बनर्जी इसमें शामिल नही हुईं. उन्होंने अपने अहम के लिए आज गुरुदेव और देश के संघीय ढाँचे का अपमान किया है. नड्डा ने गुरुवार को एक के बाद एक कई ट्वीट किए.
उन्होंने कहा, “ ईर्ष्या, राजनीतिक विद्वेष व प्रतिद्वंदिता के चलते ममता बनर्जी ने विश्वभारती के शताब्दी समारोह का बहिष्कार किया. उन्होंने पश्चिम बंगाल की संस्कृति व गुरुदेव टैगोर के गौरव को धूमिल किया. वो बार-बार संघीय ढाँचे की दुहाई देती हैं किन्तु हर मौक़े पर संवैधानिक मूल्यों को तार-तार करती हैं.”
ईर्ष्या,राजनीतिक विद्वेष व प्रतिद्वंदिता के चलते ममता बनर्जी ने विश्वभारती के शताब्दी समारोह का बहिष्कार किया,उन्होंने पश्चिम बंगाल की संस्कृति व गुरुदेव टैगोर के गौरव को धूमिल किया। वो बार-बार संघीय ढाँचे की दुहाई देती है किन्तु हर मौक़े पर संवैधानिक मूल्यों को तार-तार करती हैं।
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) December 24, 2020
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि ममता बनर्जी जिस द्वेष, अहंकार, झूठ और अत्याचार के पथ पर हैं, वह गुरुदेव रवींद्रनाथ और स्वामी विवेकानंद की संस्कृति नहीं, वह सुभाष चंद्र बोस और श्यामा प्रसाद मुखर्जी और बंगाल की संस्कृति नहीं है. यह ममता और तृणमूल कांग्रेस की संस्कृति है, जो बंगाल को बार-बार शर्मसार करती है.