न्यूज बंगाल डेस्क
अंशुमान।
कोलकाता। हरिवंश जी ने एक नयी तरह की पत्रकारिता की शुरुआत की। जिस तरह से सुरेंद्र प्रताप सिंह ने रविवार में प्रयोग कर पत्रकारिता के नये युग की शुरुआत की थी। ठीक उसी तरह से हरिवंश जी ने प्रभात खबर को पत्रकारिता की प्रयोगशाला बनाया और नये तरह के प्रयोग की शुरुआत की। प्रभात खबर हरिवंश जी की वह प्रयोगशाला थी जिसमें उन्होंने जनसरोकार से जुडी पत्रकारिता को नया आयाम दिया। यह सब कुछ एसपी और रविवार की ही देन थी। बतौर उप संपादक हरिवंश जी ने एसपी के साथ मिलकर रविवार से अपनी शुरुआत की थी। कोलकाता से उनका संपर्क यही रविवार के कारण हुआ। बाद में भी हरिवंश जी ने प्रभात खबर में रहते हुए कोलकाता संस्करण की शुरुआत कर इतिहास रचा। उन्होंने रिजर्व बैंक के अधिकारी की नौकरी छोड पत्रकारिता को चुना। उन्होंने रांची जैसे छोटे शहर से प्रभात खबर की शुरुआत की और लगातार प्रयोग का सिलसिला जारी रखा। आज प्रभात खबर हिंदी का सर्वश्रेष्ठ दैनिक है तो यह पूरी तरह से हरिवंश जी की अपने कर्म के प्रति प्रतिबद्धता का परिणाम है। वैसे लिखने को ढेर सारी बातें है। यह हरिवंश जी ने ही कहा था कि अब पत्रकार हंसते-हंसते जेल नहीं जाते बल्कि राज्यसभा जाते हैं। उन्होंने भी पत्रकारिता के बाद राजनीति को चुना। शायद यह हिंदी पत्रकारिता के लिए अपूरणीय क्षति थी। हरिवंश जी जैसे कुम्हार ने वैसे पत्रकारिता में अपनी विरासत के लिए काम करने की बजाए राजनीति को सेवा का माध्यम चुना।
जो भी हो यह उनका व्यक्तिगत फैसला था। जिस पर किसी तरह की टिप्पणी करना मुनासिब नहीं। पर यह सच है कि पत्रकारिता को लेकर आज भी उनकी चिंता वाजिब है। शायद वह वहां रहकर पत्रकारिता में प्रयोग के लिए कोई मार्ग तलाश कर सकें। इन्हीं शब्दों के साथ हिंदी पत्रकारिता को नया आयाम देने वाले हरिवंश जी को न्यूज बंगाल डेस्क की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं व प्यार।