डेस्क: इस बार बंगाल में दोगुने उत्साह के साथ आयोजक दुर्गापूजा कर रहे हैं। वर्षों बाद उन्हें वैश्विक मान्यता जो मिली है। और यूनेस्को से मिले सम्मान के पीछे जिनका योगदान है, उनका आभार अपने पूजा मंडप के जरिये बेहाला बुड़ोशिवतला जनकल्याण संघ कर रहा है।
यहां स्पर्धा को दरकिनार कर श्रेष्ठ पूजा आयोजनों और उनके सृजनकर्ता कलाकारों की कारीगरी को मंडप में स्थान देकर नमन किया गया है। इस एक पूजा पंडाल में पूरे बंगाल की दुर्गापूजा को दिखाने की कोशिश की गई है।
मंडप को आर्ट स्कूल का रूप देकर बंगाल की कला, कलाकृतियों और कलाकारों के सफर को दिखाया गया है। इसके साथ ही कलाकारों की कल्पना और नजरिये को अपने पारखी नजरों से ख्याति दिलानेवाले दर्शकों, संवाद माध्यमों और विभिन्न पूजा प्रतियोगिता के जजों को भी इस मंडप में धन्यवाद जताया गया है।
साथ ही अपने पूजा मंडप के जरिये ही आयोजनों को सफल बनाने में अपना अबाध सहयोग देनेवाले पुलिस व प्रशासन को भी दिल से शुक्रिया कहने की कोशिश की गयी है।
पूजा का थीम है ‘आमादेर सृष्टि, आपनार दृष्टि’ यानी ‘हमारा सृजन, आपकी नजर’। अपने पहले पूजा आयोजन के साथ ही कोलकाता के श्रेष्ठ पूजा आयोजन में अपना नाम दर्ज करानेवाले बेहाला बुड़ोशिवतला जनकल्याण संघ का इस बार 16वां साल है।
बिना चंदा व विज्ञापनदाताओं के सहयोग से लाखों के बजट से उत्कृष्ट पूजा आयोजित करनेवाले संघ के अध्यक्ष रोबिन मंडल का कहना है, जब हमने पूजा करने की ठानी थी, तभी हमने तय कर लिया था कि किसी से चंदा नहीं लेंगे, क्योंकि चंदा के नाम पर पूजा कमेटियों के काफी जुल्मबाजी की कहानी हमने सुनी थी।
हम विज्ञापनदाताओं को भी इसीलिए मना कर देते हैं कि उनके रास्ता घेर लेने से दर्शनार्थियों के लिए जगह कम पड़ जाती है। पहली बार 20 लाख रुपये के बजट से पूजा शुरू की थी, इस बार 50 से 60 लाख तक खर्च पहुंचने की उम्मीद है ।
28 सितंबर को पूजा मंडप का उदघाटन ब्लाइंड स्कूल के बच्चों द्वारा किया जायेगा। हम अपने पूजा मंडप से यूनेस्को से मिली हमारी दुर्गापूजा को वैश्विक मान्यता के लिए सभी को धन्यवाद देने को कोशिश कर रहे हैं।
हमने बंगाल के ख्याति प्राप्त कलाकार व विभिन्न कलाकृतियों से मंडप को एक आर्ट स्कूल का रूप देने की कोशिश की है, जिसके जरिये हम उन सभी का आभार जता रहे हैं, जिनके प्रयास से आज बंगाल की दुर्गापूजा को यूनेस्को ने विश्व के धरोहरों की सूची में एक स्थान दिया है।