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बंगाल में पहली बार मना स्वतंत्रता सेनानी पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जन्म जयंती

डेस्क: पश्चिम बंगाल में पहली बार अभ्युदय एक कोशिश और कोलकाता की साहित्यिक संस्थान भारतीय भाषा परिषद के संयोजन में स्वतंत्रता सेनानी पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जन्म जयंती समारोह का आयोजन किया गया।

 

कार्यक्रम की शुरुआत श्री आचार्य को पुष्पांजलि देकर की गयी। मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य अकादमी के निदेशक देवेंद्र कुमार देवेश, ताज़ा टीवी व छपते छपते के संपादक विश्वम्भर नेवर, कलकत्ता यूनिवर्सिटी हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ राजश्री शुक्ला,

समाजसेवी राका तिवारी, गायत्री चेतना केंद्र की प्रमुख अंजना मेहरिया, भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा को देख रही उर्मिला तोषनीवाल, अखंड ज्योति बांग्ला का संचालन कर रहे हरीश तोषनीवाल, गायत्री परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ता गोकुल मुंद्रा उपस्थित थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ शम्भूनाथ ने की। उक्त मौके पर ताज़ा टीवी व छपते छपते के संपादक विश्वम्भर नेवर ने कहा कि हमें पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के धार्मिक पक्ष से ज्यादा उनके स्वतंत्रता सेनानी पक्ष और शिक्षा के क्षेत्र में उनके प्रयास पर ध्यान आकर्षित करना चाहिए। हमें उन पिछड़े बच्चों को शिक्षित व सम्सज में पहचान दिलाने का प्रयास करना चाहिए, जो सही मायने में उंसके अधिकारी हैं।

साहित्य अकादमी के सचिव देवेंद्र कुमार देवेश ने कहा कि वर्तमान में ऐसे व्यक्तित्व को पढ़ना आवश्यक है, जिन्होंने जाति पाती, धर्म और नर-नारी के भेद को मिटाने का प्रयत्न किया।

कलकत्ता यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ राजश्री शुक्ला ने कहा महामना मदन मोहन मालवीय और पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के संबंध को उजागर किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार आसनसोल जेल में महामना ने जन सहयोग के लिए एक मुट्ठी चावल और एक रुपये की बात कह, उन्हें सामाजिक कार्य करने में जन सहयोग लेने की बात कही थी।

समाजसेवी राका तिवारी ने कहा कि आज जिस प्रकार संस्कार घट रहे हैं, वैसी स्थिति में हमें इस तरह के आयोजन से एक दिशा मिलती है। गायत्री चेतना केंद्र की प्रमुख अंजना मेहरिया ने कहा कि गायत्री परिवार बाल संस्कार शाला के माध्यम से सालों से बच्चों को संस्कारित करने का प्रयास कर रहा है।

भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा को देख रही उर्मिला तोषनीवाल ने बच्चों को भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा से जोड़ने की बात कही। अखंड ज्योति बंगला को देख रहे हरीश तोषनीवाल ने पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के समग्र व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके अखंड ज्योति के प्रयोजन को सभी के समक्ष रहा। उन्होंने अखंड ज्योति की महत्ता लोगों को बतायी।

गायत्री परिवार के वरिष्ठ कार्यकर्ता गोकुल मुंद्रा ने गरूदेव के स्वतंत्रता सेनानी पक्ष को रखते हुए उनके स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को उजागर किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ शम्भूनाथ ने कहा कि मदनमोहन मालवीय देश की स्वाधीनता के साथ बौद्धिक स्वाधीनता भी चाहते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान रवींद्रनाथ के बराबर है। वे बड़े मन के थे, इसलिए महामना कहे गए। उन्होंने देश से भेदभाव, अंधविश्वासों और कुरीतियों को मिटाना चाहा था।

शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने विज्ञान और नैतिकता को जोड़ा। उनके शिष्य श्रीराम शर्मा के गायत्री परिवार ने आर्य समाज की तरह एक समय समाज सुधार का विपुल काम किया था। नई पीढ़ी को उन महापुरुषों से उदार संस्कार लेने चाहिए। कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन लाजपत हाई स्कूल के प्रचार्य शिव शंकर सिंह ने किया।

कार्यक्रम के संयोजक नम्रता पांडेय ने बताया कि उक्त मौके पर रिटायर्ड कर्नल राज मनावरी को लोकसेवी अभ्युदय सम्मान, श्रीषचंद्र कॉलेज के राजनीतिक शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रेम बहादुर मांझी, अलीपुर टकसाल विद्यालय के हेडमास्टर डॉक्टर अरुण झा, केंद्रीय विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक विपिन कुमार, आर्य परिषद के वरिष्ठ शिक्षक भगवान सिंह व अन्य को शिक्षक अभ्युदय सम्मान से सम्मानित किया गया।

साथ ही प्रज्ञा कुमारी, मनी कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, प्रिया कुमारी, श्रेया सिंह व अन्य को बाल अभ्युदय सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत गुरु वंदना और श्रीशचंद्र कॉलेज के एनसीसी कैडर की परेड व गेस्ट ऑफ ऑनर से हुई।

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