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बीएसएफ डीआईजी को मिली ईमानदारी की सजा, रिटायरमेंट के पहले हुआ तबादला

डेस्क: बीएसएफ के एक डीआईजी को अपनी ईमानदारी की भारी कीमत चुकानी पड़ी। बीएसएफ नॉर्थ बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय में तैनात एक वरिष्ठ डीआईजी को रिटायरमेंट से ठीक 7 महीने पहले पनिशमेंट ट्रांसफर की सजा दी गई है। इस ट्रांसफर की वजह अपने काम के प्रति उनकी ईमानदारी थी।

दरअसल, उन्होंने नॉर्थ बंगाल फ्रंटियर के आईजी सुनील कुमार की हरकतों की सूचना ऊपर तक पहुंचाई थी। बता दें कि उक्त डीआईजी उनकी तैनाती खुफिया सूचनाओं को पहुंचाने के लिए ही हुई थी। अपना काम ईमानदारी से करने के कारण रिटायरमेंट से पहले उनका तबादला कर दिया गया।

सजा के तौर पर उनकी पोस्टिंग मध्यप्रदेश के टेकनपुर में कर दी गई। तीन दशकों से भी अधिक समय से ईमानदारी से अपना काम करने वाले अधिकारी को अपने सर्विस के अंतिम दिनों में ऐसे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल, बंगाल फ्रंटियर के आईजी सुनील कुमार (आईपीएस) के ऊपर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों के कारण उन्हें उनके पद से हटाकर उनके मूल कैडर में जम्मू-कश्मीर वापस भेज दिया गया। उन पर आरोप लगाया गया था कि वह कुर्ता, पायजामा व चप्पल पहनकर डीआईजी हेड क्वार्टर के वार्षिक निरीक्षण के लिए पहुंचे थे। इसके अलावा भी इनपर कई तरह के आरोप लगे हैं।

उक्त आईजीके इन हरकतों के बारे में डीआईजी ने अपना काम करते हुए अपने अधिकारियों को रिपोर्ट की लेकिन ऊपर तक पहुंच होने के कारण आईजी के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। लेकिन ईमानदार डीआईजी का ही तबादला कर दिया गया।

सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों ने इसपर नाराजगी जताई। वायरल होते हुए यह खबर जब गृह मंत्रालय तथा बीएसएफ मुख्यालय तक पहुंची, इसके तुरंत बाद ही सुनील कुमार को आईजी पद से हटा दिया गया और अपने मूल कैडर जम्मु-कश्मीर भेज दिया गया।

दरअसल, केवल कुर्ता, पायजामा व चप्पल पहनकर निरीक्षण करना ही सुनील कुमार के गलती नहीं है, बल्कि उन पर इसके अलावा भी कई सारे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सूत्रों की माने तो जब कभी भी वह निरीक्षण के लिए जाते थे तो उनका 10 साल का बेटा भी उनके साथ जाया करता था।

साथ ही उनपर आरोप है कि फ्रंटियर हेड क्वार्टर के दो-चार कर्मियों को सुनील कुमार ने अपने घर पर काम करने के लिए रखा हुआ था। वह नियमित तौर पर सिलीगुड़ी से पटना में अपने घर पर सब्जियां व मछली भेजा करते थे।

उन पर बीएसएफ के लिए सामानों की खरीदारी में ही हेराफेरी करने का आरोप है। इस वजह से उन्हें अपने मूल कैडर जब जम्मू-कश्मीर वापस भेज दिया गया है। जबकि डीआईजी का रिटायरमेंट के पहले तबादला कर दिया गया।

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