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मानव तस्करों से बांग्लादेशी किशोरी को बीएसएफ ने बचाया

 

डेस्क. बीएसएफ साउथ बंगाल फ्रंटियर के जवानों ने 15 साल की नाबालिक बांग्लादेशी लड़की को तस्करों के चंगुल से आजाद कराया.

जानकारी के अनुसार, 17 मार्च को सुबह 9 बजे बीएसएफ की इंटेलिजेंस ब्रांच को सूचना मिली कि सीमा चौकी झोरपारा, 08 वी वाहिनी के इलाक़े में अंतर्राष्ट्रीय सीमा (इच्छामती नदी) से कुछ लोग भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास कर रहे हैं, जिनके साथ नाबालिग लड़की भी है. यह सूचना के बाद बीएसएफ के जवान संदिग्ध जगह की ओर दौड़ पड़े. बीएसएफ को अपनी ओर आता देख, तस्कर (दलाल) लड़की को छोड़ भाग निकले. नाबालिग लड़की को सम्मानपूर्वक सीमा चौकी झोरपारा में पूछताछ के लिए लाया गया.

प्रारंभिक पूछताछ में लड़की ने बताया कि वह (सलमा (काल्पनिक नाम), बंगलादेश) गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है. वह पांचवी कक्षा की छात्रा है तथा टेक्सटाइल मिल मोहम्मदपुर, में पार्ट टाइम जॉब भी करती है. उसके पिता ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित है, जिनके इलाज के लिए उसे ज्यादा पैसों की जरूरत है, तभी एक दलाल से उसका संपर्क हुआ, जो उसे अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करा कर कोलकाता में अच्छी नौकरी दिलायेगा. उसी तस्कर ने लड़की को सोबुज निवासी जीवन नगर तथा अलामिन बागड़ांगा को सौंप दिया. दोनों बांग्लादेशी नागरिक हैं. 02 दिन अलामिन के घर में रहने पर अलामिन ने भारतीय दलाल से संपर्क किया,जिसने नाबालिक लड़की को अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करा कर कोलकाता तक पहुंचने पर आलामिन से रुपए 20,000 तय किए, लेकिन सीमा पार करते हुए बीएसएफ ने लड़की को पकड़ लिया.

तस्करों से बचाई गई नाबालिक लड़की को पुलिस स्टेशन धनतला में कानूनी कार्यवाही कर चाइल्डलाइन एनजीओ (NGO) दत्तापुलिया को सौंप दिया गया है.

दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हो रहे ऐसे घिनौने अपराध की कड़ी निंदा करता है. उनकी ओर से बताया गया कि अक्सर दलाल भोली-भाली बांग्लादेशी लड़कियों को ज्यादा पैसों का लालच देकर उन्हें देह व्यापार की दलदल में धकेल इनके भविष्य से खिलवाड़ करते हैं. बांग्लादेशी लड़कियां इन कुख्यात तस्करों के जाल में फस जाती है.
साउथ बंगाल फ्रंटियर ने इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक्टिव किया हुआ है जो लगातार लड़कियों को तस्करों के चंगुल से आजाद कराने में लगी हुई है.

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