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देश के ख्यातिलब्ध कवियों ने देर रात तक श्रोताओं को गुदगुदाया

हास्य-व्यंग्य, गीत, ग़ज़ल, मुक्तक से सरोबार रहा सूर्य नगरी बड़गांव का आँगन

सूर्यनारायण जागृति मंच द्वारा आयोजित बड़गांव छठ महोत्सव के दूसरे दिन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर के ख्यातिलब्ध प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी अपने कव्यपाठ से सूर्यनगरी बड़गांव के आंगन को सराबोर कर दिया। अतिथि कवियों में अंतरराष्ट्रीय कवि-युगल डॉ अनामिका जैन अम्बर और सौरभ जैन सुमन की सारस्वत उपथिति रही। वही देश के प्रसिद्ध हास्य कवी मेरठ से डॉ प्रतीक गुप्ता, दिल्ली से डॉ अरुण पांडेय, डॉ सत्येंद्र सत्यार्थी, कोलकाता से ओज का प्रखर स्वर नवीन कुमार सिंह ने शानदार कव्यपाठ किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मगध के वरिष्ठ कवि उमेश प्रसाद उमेश ने किया व संचालन सूर्यनारायण जागृति मंच के मार्गदर्शक व युवा कवि संजीव कुमार मुकेश ने किया।
सम्मिलित अतिथि कवियों का स्वागत मंच के संयोजक अखिलेश कुमार ने किया जबकि धन्यबाद ज्ञापन पंकज कुमार ने किया। इस अवसर पर संजय सिंह, पप्पी कुमार, बिपिन कुमार, नवलेश कुमार सहित कई सूर्यसेवको ने भी अपनी उपथिति दर्ज किया।

प्रसिद्ध कवि व एम्स नई दिल्ली के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ० अरुण पांडेय के शनादर शुरुआत ने ही कार्यक्रम के सफलता की मजबूत नींव अपने सबैया छंद से रखा
“तुमने हमको अपना समझा,
छठ मैया ये जीवन धन्य हुआ है।
मैया ने वास किया हिय में,
तबसे उर आँगन धन्य हुआ है।
शरण दिया जबसे अपना,
अभिसारित यौवन धन्य हुआ है।
बरसूं नित री बदरी बनिके,
अति पावन कातिक धन्य हुआ है

कलकत्ता के युवा ओज कवि नवीन कुमार सिंह ने अपनी ओजस्वी कविता से कवि सम्मेलन के शिखर तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त किया उन्होंने अपने हिंदुस्तान के लिए ये पंक्तियां पढ़ी और श्रोताओं में देश प्रेम का अलख जगाया-
“धरती की पूजा में मुझको मान दिखाई देता है
भारत माँ की मूरत में भगवान दिखाई देता है
और मुहब्बत देश से अपने बस इतना करता हूँ कि
आँखों में महबूब के हिंदुस्तान दिखाई देता है”

देश में हास्य के सशक्त हस्ताक्षर “सब कुछ ओरिजिनल है” टी.वी शो के संचालक डॉ० प्रतीक गुप्ता की हास्य की फुलझड़ियों के साथ गंभीर बातें दिल को छू गईं
उन्होंने बिहार और बिहारियों के लिए शानदार पंक्तियाँ पढ़ी

“वो जग-जग कर खुद ही सूरज को जगाना,
जब छिप जाए सूरज तो भी अर्घ चढ़ाना
वो दुनिया को लेबर वो अफसर दिलाना
टेढी नज़रों से फिर भी बिहारी कहलाना
कर्मठ होकर भी ताने सुनना आसान नही होता!
सच कहूँ तो बिहारी बनना भी आसान नही होता!

मगध के राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध कवि डॉ सत्येंद्र सत्यार्थी ने पूरे मगध सहित बिहार की तासीर को रेखंकित किया उन्होंने कहा –
“सब कहते छिपते सूरज को कौन नमन करता है,
घर के वृद्धों का आदर से कौन भरण करता है।
यह पूर्वांचल की माटी छिपते सूरज को नमन करे,
इसी तरह घर के वृद्धों का आदरपूर्वक ध्यान धरे।।”

कार्यक्रम के संयोजक सूर्यनारायण जागृति मंच के मार्गदर्शक व नालंदा के युवा कवि संजीव कुमार मुकेश ने बड़गांव की महत्ता को एक मगही गीत के माध्यम से रखा
उन्होंने कहा-
जहाँ पहिली किरिनियाँ आब हई दबे पाँव,
चल चल हो भैया देव नगरी बड़गांव!

अदमी जी देव यहाँ, डुबकी लगईलन।
आके बड़गांव, छठ मईया के मलाईलन।
सुरुज बाबा के नगरी, हम चलबई नंगे पांव।
चल चल हो भैया, देव नगरी बड़गांव।

मेरठ से जुड़े देश के सुप्रसिद्ध ओज कवि व मंच संचालक सौरभ जैन सुमन ने जब काव्य पाठ आरंभ किया तो कवि सम्मेलन अपने शिखर पर पहुँच हजारों की संख्या में जुड़े श्रोताओं की प्रतिक्रिया कार्यक्रम की सफलता बयाँ कर रही थी। सौरभ जैन सुमन ने अपनी पंक्तियों से देश कोरोना संकट के हालात को शब्दों से अभिव्यक्त किया और कहा-

“आख़िर कितना रोना होगा?
कितनों को कोरोना होगा?
हैं लाशें ही बस बिछी हुई,
कब तक उनको ढोना होगा”

राजनीतिक चुटकी लेते हुए कवि सौरभ जैन सुमन ने आगे कहा –
“होली पर जल बर्बादी शिव अभिषेक में दुग्ध
दीवाली पे बैन पटाखे बस हिन्दू है क्षुब्ध
बस हिन्दू है क्षुब्ध खोट सब यहीं निकालें
ईद पे पशु को मार लाश उनकी भी खालें
कहो पहन लें टोपी तज माथे की रोली
कहाँ दीवाली, छठ अपनी और कहाँ है होली”

जी न्यूज पर कवि युद्ध शो की संचालिका व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवयित्री डॉ अनामिका जैन अम्बर के कव्यपाठ ने कवि सम्मेलन को उतुंग शिखर पर पहुंचाया। भगवान भास्कर को शब्द अर्घ देते हुए डॉ अनामिका जैन अम्बर ने ये पंक्तियां पढ़ी –
“धन्यवाद हे सूर्यदेव, है नमन धरा के कण कण का
हे ऊर्जा के स्रोत, प्रकाशित तुमसे जग, लेखा क्षण का”

श्रोताओं की फरमाईस पर उन्होंने कई मुक्तक, गीत, प्रतिगीत सुनाया। उन्होंने एक ग़ज़ल के माध्यम से कहा कि
“कुछ झूठे लोगों का ये परिचय असली है,
चेहरे तो नक़ली हैं पर अभिनय असली है”

कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि उमेश प्रसाद उमेश ने आपने अध्यक्षीय कव्यपाठ से एक अमिट छाप छोड़ी।
उन्होंने मगध की गरिमा का बखान करते हुए ये गीत पढ़ा कि –
उगल चान खंडहर पर टुह-टुह,
सुबह सुरुज के लाली हो,
सब भाषा के मागधी जननी,
कस के पिट ताली हो!

मिली जानकारी के अनुसार इस वर्चुअल कवि सम्मेलन की पहुंच लगभग 2 लाख लोगों तक हुई लगभग एक लाख लोगों ने इस कार्यक्रम को देखा है।

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