संपादकीय डेस्क।
जिस तरह से संकट की इस घडी में भी राज्यपाल-मुख्यामंत्री विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है व राज्य की प्रशासनिक व अन्य व्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है। एक ओर जहां राज्यपाल हमेशा मुखर होकर मीडिया के सामने बयान दे रहें हैं, वहीं मुख्य्मंत्री ममता बनर्जी ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से उपर उठकर कार्य करने वाला कृत्य बताते हुए असंवैधानिक आचरण करार दिया है।
राज्यपाल मुख्यृमंत्री विवाद के चलते प्रशासन भी किंकर्तव्यिविमुढ नजर आ रहा है। इसी का परिणाम था कि राज्यपाल के निर्देश के बाद भी कुलपतियों ने उनके साथ बैठक में भाग नहीं लिया। जिसके चलते एक असहज स्थिति उत्पन्न हो गयी है। खासकर ऐसे समय में जब कोरोना जैसी महामारी को लेकर पूरे राज्य में संकट की स्थिति है। मुख्यमंत्री के साथ तालमेल के अभाव का लाभ उठाकर कुछ लोग अपनी रोटी सेक रहें है। अम्फन तूफान राहत से लेकर केंद्र सरकार से अपेक्षित मदद में जिस तरह की रुकावटे व स्थितति सामने आ रही है, वह कतई ठीक नहीं कहा जा सकता। प्रधानमंत्री से तृणमूल सुप्रीमों की मुलाकात के बाद भी इस समस्या का कोई माकुल हल अभी तक नहीं निकाला जा सका है। इससे पूर्व भी केशरी नाथ त्रिपाठी के समय इस तरह की स्थिाति उत्पहन्नव हो गयी थी। लेकिन कुटनीति के माहिर खिलाडी श्री त्रिपाठी ने मुंह बंद करके इस दूरी को पाट दिया था। अब देखना है कि जगदीप धनखड और ममता विवाद क्या रंग लाता है। साथ ही राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर इसका क्या प्रभाव पडता है।